पीएम मोदी के लाल किले से दिए गए हर भाषण में देश के लिए एक गहरा संदेश छिपा होता है, और इस बार भी ऐसा ही है। उन्होंने अपने भाषण में संकेत दिया है कि आने वाले 6 महीने भारतीय राजनीति के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे। इस दौरान, एनडीए सरकार कुछ महत्वपूर्ण और बड़े फैसले ले सकती है, जो देश की राजनीति को नया मोड़ दे सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में विकास, प्रगति और देश की सुरक्षा को लेकर भी बात की, जो यह संकेत देता है कि आने वाले समय में इन क्षेत्रों पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। इसके साथ ही, उन्होंने अपनी सरकार की योजनाओं और आगामी चुनावी रणनीतियों की भी एक झलक दी, जिससे यह साफ है कि राजनीतिक दृष्टि से ये महीने बेहद अहम होंगे।
इस भाषण के ज़रिए पीएम मोदी ने अपने अगले कदमों का संकेत देते हुए स्पष्ट कर दिया कि देश की राजनीति में बड़े बदलावों की संभावना है।
धानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से 11वीं बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया। उनके हर भाषण में आने वाले वर्षों के लिए सरकार की योजनाओं का संकेत होता है, और इस बार भी उन्होंने अपनी परंपरा को कायम रखा। अपने 98 मिनट के भाषण में उन्होंने इशारा किया कि आने वाले 6 महीनों में भारत सरकार कई अहम कदम उठाने की तैयारी कर रही है।
पीएम मोदी का मुख्य संदेश यह था कि जो लोग मानते हैं कि लोकसभा चुनाव में सीटें घटने से मोदी सरकार कमजोर हो गई है या वह विवादित मुद्दों पर कदम उठाने से बच रही है, तो यह धारणा गलत है। उन्होंने अपने भाषण में सेक्युलर कोड, सुधार, और बांग्लादेश को हिंदुओं की सुरक्षा पर संदेश जैसे मुद्दे उठाकर यह स्पष्ट किया कि सरकार किसी भी मुद्दे पर कमजोर नहीं दिखना चाहती।
यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि 2019 में, जब नरेंद्र मोदी दूसरी बार प्रधानमंत्री बने थे, तब उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए थे, जो सामान्यत: चुनाव के समय की सरकारें नहीं लेतीं। इसी तरह, इस बार भी उनके लाल किले के भाषण से संकेत मिलता है कि अगले 6 महीने भारत की राजनीति के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
1-यूसीसी को सेक्युलर कोड संहिता का नया कलेवर दिया
पीएम मोदी ने आज अपने भाषण में समान नागरिक संहिता (यूनिवर्सल सिविल कोड) को एक नया नाम दिया। उन्होंने इसे “सेक्युलर सिविल कोड” कहा और कहा कि जो वर्तमान कानून हैं, वे ‘कम्युनल सिविल कोड’ की तरह हैं, जो समाज को धर्म के आधार पर विभाजित करते हैं। पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि देश को अब एक सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत है, जहां सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून हो।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जो कानून धर्म के नाम पर लोगों को बांटते हैं, उन्हें हटाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय संविधान समान सिविल संहिता पर जोर देता है और सुप्रीम कोर्ट भी समय-समय पर इसके क्रियान्वयन की बात कहता रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर चर्चा की है और कई बार इसके लिए आदेश भी दिए हैं। देश के एक बड़े वर्ग का मानना है कि वर्तमान सिविल कोड वास्तव में सांप्रदायिक और भेदभावपूर्ण है।”
उन्होंने आगे कहा, “जो कानून धर्म के आधार पर विभाजन करते हैं और ऊंच-नीच का कारण बनते हैं, ऐसे कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता। अब देश की यह मांग है कि यहां एक सेक्युलर सिविल कोड होना चाहिए।
राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो जो लोग यह मान रहे थे कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) अब ठंडे बस्ते में जा सकती है, वे गलत थे। भाजपा पूरी ताकत से यूसीसी को लेकर आएगी, चाहे इसका नाम बदलकर ‘सेक्युलर सिविल कोड’ कर दिया जाए।
यह सही है कि केंद्र सरकार को अब लोकसभा में पूर्ण बहुमत नहीं है और भाजपा के दो सहयोगी दल – जेडीयू और तेलुगुदेशम – अल्पसंख्यक मुद्दों पर भाजपा से अलग राय अपना सकते हैं। लेकिन भाजपा किसी भी दबाव में आने वाली नहीं है।
जो लोग यह सोच रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में हार्डलाइन मुद्दों पर नरमी दिखा सकते हैं, उनके लिए यह स्पष्ट संदेश है कि ऐसा कुछ भी नहीं होगा। भाजपा अपने पुराने रुख और तेवर को कायम रखेगी और किसी भी तरह के बदलाव की उम्मीद करने वालों को निराशा हो सकती है।
2-बांग्लादेश को हिंदुओं की रक्षा के नाम पर संदेश दे दिया
लाल किले की प्राचीर से आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमलों और मंदिरों में तोड़फोड़ जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर स्पष्ट संदेश दिया। शेख हसीना का नाम लिए बिना ही उन्होंने यह संकेत दिया कि बांग्लादेश में जो कुछ हुआ है, उसे लेकर एक पड़ोसी देश के नाते भारत की चिंता वाजिब है।
हालांकि पीएम मोदी की भाषा विनम्र थी, लेकिन बांग्लादेश के लिए यह एक कड़ा संदेश था। उन्होंने उम्मीद जताई कि वहां जल्द ही हालात सामान्य हो जाएंगे, विशेषकर 140 करोड़ भारतीयों की चिंता को ध्यान में रखते हुए, कि वहां हिंदू और अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित हो। भारत हमेशा चाहता है कि उसके पड़ोसी देश सुख और शांति के मार्ग पर चलें और बांग्लादेश भी जल्द ही विकास की राह पर आगे बढ़े।
पीएम का यह कहना भी महत्वपूर्ण था कि भारत का शांति के प्रति कमिटमेंट उसके संस्कारों में है, और भारत बांग्लादेश की विकास यात्रा में हमेशा शुभचिंतक रहेगा, क्योंकि भारत मानवता की भलाई सोचने वाला देश है। इस तरह की भाषा अप्रत्यक्ष रूप से एक प्रकार की चेतावनी के रूप में मानी जा सकती है, और ऐसा लगता है कि बांग्लादेश के नेताओं ने भारतीय प्रधानमंत्री के संदेश को भली-भांति समझ लिया होगा







