मंडला। औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शासन द्वारा आवंटित भूमि का गलत उपयोग करने वालों पर अब प्रशासन सख्त रुख अपना रहा है। इसी कड़ी में अर्धशहरी औद्योगिक संस्थान बिंझिया, जिला मंडला स्थित इकाई मेसर्स बसंत सायकल असेम्बलिंग की औद्योगिक भूमि का भू-आवंटन एवं लीजडीड तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दी गई है। यह कार्रवाई न केवल नियमों के उल्लंघन का परिणाम है, बल्कि औद्योगिक क्षेत्र में अनुशासन की पुनर्स्थापना की दिशा में एक अहम कदम भी मानी जा रही है।

कैसे शुरू हुआ मामला
बिंझिया औद्योगिक क्षेत्र में 46,150 वर्गफुट भूमि वर्ष 2012 में मेसर्स खोडियार सायकल असेम्बलिंग के नाम से आवंटित की गई थी। बाद में इसका पारिवारिक हस्तांतरण कर मेसर्स बसंत सायकल असेम्बलिंग के नाम से संशोधित पट्टाभिलेख (लीजडीड) 14 सितंबर 2012 को संपादित हुआ।
आवंटन का उद्देश्य सायकल असेम्बलिंग उद्योग स्थापित करना था, परंतु जांच में पाया गया कि इकाई द्वारा औद्योगिक उत्पादन कार्य के स्थान पर पीवीसी पाइप, सबमर्सिबल पंप, विद्युत सामग्री एवं नल फिटिंग जैसी वस्तुओं का खुलेआम विक्रय कार्य किया जा रहा था।

नोटिस पर भी नहीं हुआ सुधार
कार्यालय द्वारा पहले 60 दिवसीय नोटिस जारी किया गया, साथ ही मौखिक समझाइश भी दी गई कि भूमि का उपयोग केवल उद्योग स्थापना के लिए किया जाए।
परंतु चेतावनी के बावजूद वाणिज्यिक गतिविधियाँ जारी रहीं।
इसके बाद 17 अक्टूबर 2025 को अंतिम 15 दिवसीय नोटिस जारी किया गया।
इसके बावजूद इकाई ने न तो बिक्री कार्य बंद किया और न ही लीज की शर्तों के उल्लंघन को दूर किया।

नियमों के तहत कड़ी कार्रवाई
मामले को गंभीर मानते हुए विभाग ने मध्यप्रदेश राज्य औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम 1974 (संशोधित 2008, 2014, 2019, 2021, 2023 एवं 2025) के तहत प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए कठोर निर्णय लिया। इसमें 6 सितंबर 2012 का भू-आवंटन आदेश और 14 सितंबर 2012 की संशोधित लीजडीड दोनों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया। यह कार्रवाई इस बात का संकेत है कि अब औद्योगिक क्षेत्रों में भू-आवंटन का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अधिकारी बोले – “औद्योगिक उद्देश्य से भटकने वालों पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी”
विभागीय सूत्रों के अनुसार, इस निर्णय के पीछे उद्देश्य स्पष्ट है औद्योगिक क्षेत्र की भूमि केवल उद्योग के लिए है, न कि व्यवसायिक विक्रय या खुदरा बाजार चलाने के लिए। आगे भी जो इकाइयाँ इस प्रकार की गतिविधियाँ करेंगी, उन पर नियमों के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, निरस्त की गई भूमि को अब फिर से वास्तविक औद्योगिक इकाई को आवंटित करने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। इस कदम से न केवल उद्योगों में पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि मंडला के औद्योगिक ढांचे को मजबूती भी मिलेगी।
मंडला का यह मामला उन सभी औद्योगिक इकाइयों के लिए एक “चेतावनी संदेश” है जो शासन द्वारा दी गई भूमि का उपयोग नियमों के विपरीत कर रहे हैं।
अब प्रशासन का रुख स्पष्ट है







