आवेदक हो रहे परेशान: लाईसेंस से लेकर परमिट समय पर नहीं हो रहे जारी
मंडला
मंडला के परिवहन विभाग में सारे काम ऑनलाइन होने लगे हैं, यहाँ अधिकारी भी बदल गए हैं लेकिन कामकाज का सिस्टम नहीं बदला है। नए अधिकारी के पास दो जिले का प्रभार है, जिसके चलते मंडला आरटीओ कार्यालय में कामकाज प्रभावित है। आरटीओ सप्ताह में दो दिन ही मंडला मुख्यालय आते हैं, जिसमें भी एक दिन कलेक्टर की टीएल बैठक में गुजर जाता है। इस वजह से आरटीओ संबंधित कामकाज में काफी समय लग रहा है।
एजेंटो के भरोसे आवेदक: कई चक्कर लगाने को मजबूर
आवेदकों का आरोप है कि कोई भी कार्य एजेंट के बिना नहीं होता है। लोग अपने काम के लिए कुर्सी-कुर्सी चक्कर लगाते रहते हैं और लिपिक टहलाते रहते हैं। एक फाइल में साइन होने के लिए सप्ताह भर से अधिक समय लग जाता है। लाइसेंस के लिए लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वाहन का ट्रांसफर, एनओसी, परमिट और फिटनेस कार्य कराना आरटीओ में आसान नहीं है। शासन की तरफ से ड्राइविंग लाइसेंस की ऑनलाइन व्यवस्था है, लेकिन इसके बावजूद आवेदकों को कार्यालय आना पड़ता है।
नए अधिकारियों के बावजूद कामकाज में कोई सुधार नहीं
आरटीओ और एआरटीओ के पद पर नए अधिकारी आए हैं। नए अधिकारियों के आने के बाद भी कार्यालय में कोई बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है। इसको लेकर आमजनो में रोष देखा जा रहा है। मंडला नगर से करीब आठ किमी दूर आरटीओ कार्यालय है। आवेदक अपने काम लेकर कार्यालय पहुंचते हैं लेकिन अफसर के नहीं होने पर ऑनलाइन आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाती है। इस वजह से आवेदकों को बेरंग लौटना पड़ता है। इससे उन्हें अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ता है।
ग्रामीण क्षेत्रो के आवेदकों के लिए कठिनाई
ग्रामीण क्षेत्रों के आवेदकों को बिना एजेंट के माध्यम से कोई काम नहीं किया जा रहा है। आरटीओ कार्यालय में एक अलग ही सिस्टम चल रहा है, जिसमें एजेंट से लेकर लिपिक तक सभी जुड़े हुए हैं।
इस समस्या के समाधान के लिए जिला प्रशासन को ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि आवेदकों को परेशानियों का सामना ना करना पड़े और कामकाज सुचारू रूप से हो सके।









