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“मेहेर बाबा की तपोभूमि पर हरियाली का क़त्ल!” , “न्यायालय के आदेश के बीच चल रहा पेड़ों का संहार – कौन जिम्मेदार?”

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मंडला | मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत देवदरा, जहां अवतार मेहेर बाबा की तपोभूमि है – आज वहां से ऐसी खबरें आ रही हैं जो धरती की हरियाली, आस्था और कानून – तीनों पर सीधा हमला हैं। यह वही भूमि है जहाँ लोग सिर झुकाकर जाते हैं, लेकिन अब वहाँ पर पेड़ों को चुपचाप ज़हर देकर मारा जा रहा है।
किस लिए? भूमि हथियाने के लिए? अवैध कब्जे के लिए? प्रोजेक्ट चलाने के लिए?

ग्रामवासियों ने जनसुनवाई में की गई शिकायत में साफ कहा है कि मेहेर बाबा ट्रस्ट की भूमि पर लगे हजारों आम के फलदार पेड़ों को जानबूझकर जहर देकर मारा जा रहा है। देवदरा के स्थानीय निवासियों का कहना है कि अनेक पेड़ो में कहीं गड्ढे में केमिकल डाला गया, कहीं तनों में इंजेक्शन लगाया गया और कई पेड़ खुद ही गिर चुके हैं, यह कोई साधारण कटाई नहीं – यह सुनियोजित हत्या है, पर्यावरण की हत्या!

मेहेर बाबा ट्रस्ट की भूमि को लेकर मामला इस समय माननीय न्यायालय में विचाराधीन है। इसका सीधा मतलब है कि इस भूमि पर किसी भी तरह का निर्माण, बदलाव, या छेड़छाड़ न्यायिक आदेश के बिना नहीं की जा सकती। लेकिन इसके विपरीत, लखराम क्षेत्र में स्थित इसी ट्रस्ट की भूमि पर हज़ारों आम के वृक्षों को केमिकल डालकर मारा जा रहा है, और कई पेड़ों को अवैध रूप से काट भी दिया गया है। यह न सिर्फ वन अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि एक चल रहे न्यायिक मामले में हस्तक्षेप और उसकी अवमानना है।

🪓 *कटाई का खेल पहले ही शुरू हो चुका है*

केवल केमिकल नहीं, बल्कि कई वृक्षों को पहले ही अवैध रूप से काट दिया गया है। वन अधिनियम और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की सीधी अवहेलना हो रही है, लेकिन ना वन विभाग हरकत में आया, ना पंचायत, ना जिला प्रशासन।

*किसकी शह पर हो रहा है यह सब? :- आस्था का भी अपमान*

यह सिर्फ पर्यावरण नहीं, आस्था का भी अपमान है।
मेहेर बाबा की तपोभूमि, जहाँ पर लोग ध्यान और भक्ति के लिए आते हैं, वहां प्राकृतिक संपदा का यह विनाश एक सांस्कृतिक अपराध है।

📢 *ग्रामीणों की चेतावनी – अब आंदोलन होगा!*

ग्रामवासियों ने ‘एक पेड़ मेहेर बाबा के नाम’ अभियान की शुरुआत कर दी है, और यह अब एक सामाजिक आंदोलन का रूप ले रहा है। हर घर से एक व्यक्ति वृक्ष लगाएगा। ट्रस्ट की भूमि को बचाने की शपथ ली गई है। और अगर जरूरत पड़ी, तो धरना, प्रदर्शन और जिला बंद तक की चेतावनी दी गई है। ग्रामीणों का कहना है कि “अगर हमारी बात नहीं सुनी गई, तो मंडला की सड़कों पर उतरेंगे – पेड़ों की रक्षा के लिए,
वही उन्होंने कहा कि ये लड़ाई सिर्फ वृक्षों की नहीं – यह भावी पीढ़ियों, संस्कृति और प्रकृति की है “अगर अब नहीं जागे, तो कल हवा नहीं बचेगी, छांव नहीं बचेगी, और बच्चों को सिर्फ बंजर ज़मीन ही मिलेगी।

*एक पेड़ मेहेर बाबा के नाम” – अब सिर्फ संकल्प नहीं, एक जनआंदोलन!*

पेड़ों की इस निर्मम हत्या के विरोध और हरियाली के पुनर्निर्माण के उद्देश्य से ग्रामवासियों ने सामूहिक रूप से “एक पेड़ मेहेर बाबा के नाम” अभियान की शुरुआत की है। यह न सिर्फ पर्यावरणीय संकल्प है, बल्कि मेहेर बाबा की स्मृति और तपोभूमि की रक्षा का भी प्रतीक बन चुका है।
इस अभियान की शुरुआत के अवसर पर ग्राम देवदरा के कई जागरूक नागरिकों ने भाग लिया। वाजिद अली, सुनील ठाकुर, नवीन जैन, शेर सिंह पंद्राम, शारदा परते, राकेश श्रीवास, केशव, अमित सोनी, कमलेश और राजू रघुवंशी समेत दर्जनों ग्रामीणों ने मिलकर वृक्षारोपण कर यह संदेश दिया कि आस्था और पर्यावरण के साथ कोई खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस दौरान ग्रामीण सुनील ठाकुर ने कहा कि “यह सिर्फ एक पेड़ नहीं, बाबा के नाम की जीवित स्मृति है। जब तक हर कटे पेड़ की जगह सौ पेड़ नहीं लगते, हम चुप नहीं बैठेंगे।”

🔚 *समाज बोला – न्याय हो, कार्रवाई हो, और हरियाली लौटे!*

ग्राम देवदरा आज एक बार फिर यह साबित कर रहा है कि जब प्रशासन सोता है, तो जनता जगती है। जब पेड़ जहर से गिराए जा रहे हों, तो विरोध की सबसे सशक्त भाषा होती है – एक नया पेड़ लगाना।

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