मंडला | पुलिस मुख्यालय, मध्यप्रदेश के निर्देश पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्गों के प्रति संवेदनशीलता विषय पर एक दिवसीय जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन शुक्रवार को पुलिस कंट्रोल रूम, मंडला में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इस कार्यशाला में जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों से आए कुल 45 पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी शामिल हुए, जिन्हें SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के कानूनी, व्यावहारिक एवं संवेदनशील पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया गया।

🔹 कार्यशाला का उद्देश्य
इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य था — पुलिस अधिकारियों में संवेदनशील दृष्टिकोण, विधिक जानकारी, तकनीकी दक्षता और जवाबदेही की भावना का समावेश करना, जिससे अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्गों से संबंधित प्रकरणों की निष्पक्ष, त्वरित एवं न्यायपरक विवेचना सुनिश्चित की जा सके।
🧾 कार्यक्रम का उद्घाटन – न्यायिक दृष्टिकोण से मार्गदर्शन
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में विशेष न्यायाधीश (SC/ST प्रकरण) श्री राजेश कुमार रावतकर द्वारा SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 की विस्तृत व्याख्या की गई। उन्होंने बताया कि यह कानून किस प्रकार वंचित वर्गों के अधिकारों की सुरक्षा करता है, उन्हें राहत एवं पुनर्वास प्रदान करता है, और पुलिस की इसमें क्या भूमिका है।

👨🏫 विशेषज्ञों के सत्र – कानून से लेकर व्यवहार तक
कार्यक्रम को विभिन्न विषयों पर आधारित सत्रों में बाँटा गया, जिनमें निम्न विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिया:
श्री एस.एस. ठाकुर (लोक अभियोजन अधिकारी): विवेचना की विधि, जब्ती प्रक्रिया, पंचनामा, चालान, एवं प्रक्रियागत सावधानियाँ।
डीएसपी अजाक श्रीमती अर्चना आहिर: विवेचना में संवेदनशीलता और पीड़ित की स्थिति को समझने के महत्व पर प्रकाश।
एसडीओपी निवास श्री पीएस वालरे: व्यवहारिक दृष्टिकोण से SC/ST मामलों की जाँच कैसे की जाए।
एसडीओपी मंडला श्री पीयूष मिश्रा एवं एसडीओपी बिछिया श्री सौरभ: कानूनी प्रक्रिया और अपराधियों के विरुद्ध त्वरित कार्रवाई के उपाय।
निरीक्षक शफीक खान (थाना कोतवाली): फील्ड अनुभव आधारित केस स्टडी और चुनौतियाँ।
🔚 समापन सत्र – तकनीक, जिम्मेदारी और न्याय की समरसता
कार्यशाला का समापन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मंडला श्री शिव कुमार वर्मा के प्रेरक व्याख्यान के साथ हुआ। उन्होंने कहा,
> “SC/ST वर्गों से संबंधित मामलों में संवेदनशीलता और तकनीकी दक्षता का संतुलन ही पुलिस की कार्यकुशलता को परिभाषित करता है। समय पर न्याय देना तभी संभव है जब हम कानून की गहराई, पीड़ित की मनोस्थिति और प्रक्रिया की पारदर्शिता – तीनों को साथ लेकर चलें।”
🏅 प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी एवं प्रमाण पत्र वितरण
प्रशिक्षण के अंत में सभी प्रतिभागियों से फीडबैक प्राप्त किया गया और प्रशिक्षण प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए। कार्यक्रम में मौजूद सभी पुलिस अधिकारियों ने इस कार्यशाला को ज्ञानवर्धक, प्रेरक और आवश्यक बताया।
✅ प्रशिक्षण का व्यापक प्रभाव
इस विशेष प्रशिक्षण कार्यशाला से मंडला जिले की पुलिस को SC/ST वर्गों से संबंधित प्रकरणों में बेहतर, संवेदनशील, सटीक और कानूनी दृष्टि से सक्षम बनने का मार्ग मिला है। यह कार्यशाला पुलिस व्यवस्था को न्यायोचित, उत्तरदायी और मानवीय बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।







