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प्राईवेट फायनेंस कम्पनियों पर गिर सकती है गाज, मानव अधिकार आयोग ने लिया संज्ञान

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मण्डला। जिले में संचालित प्राईवेट फायनेंस कम्पनियों की शिकायत बीते दिनों पुलिस अधीक्षक मंडला से की गई थी सैकड़ो की संख्या में महिला और पुरूष एसपी कार्यालय पहुंचे थे जहां पर जिले भर में संचालित कम्पनियों की शिकायत की गई थी। इस शिकायत को मानव अधिकार आयोग भोपाल ने भी गंभीरता से लिया है। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के सदस्य राजीव कुमार टंडन ने विगत दिवस के विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित प्रथम दृष्टया मानव अधिकार उल्लंघन के 1 मामला जो समाचार पत्रों मे प्रकाशित हुए थे जिसमें प्रथम दृष्टया मानव अधिकार का उल्लंघन है ऐसे मामले को संज्ञान मे लेकर संबंधितों से जवाब मांगा है। इस बात की जानकारी कार्यालय म.प्र. मानव अधिकार आयोग-मित्र शिकायत प्रकोष्ठ शाखा मण्डला से प्राप्त हुई है। बताया गया है कि मंडला जिले के बिछिया, घुघरी एवं मवई ब्लॉक के विभिन्न गावों में रहने वाली आदिवासी महिलाओं के साथ एक फाइनेंस कंपनियों द्वारा धोखाधड़ी करने का मामला सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार निजी फाइनेंस कंपनियों ने महिलाओं को लोन देने के नाम पर गुमराह किया और उनसे पैसे भी वसूले गये। इस संबंध में गांवो की सैकड़ों महिलाओं ने पुलिस अधीक्षक के समक्ष जाकर अपने साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत कर आरोपी कंपनी के खिलाफ उचित कार्यवाही की मांग की है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक से मामले की जांच कराकर की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन दों सप्ताह में मांगा है। बता दें कि विगत कई वर्षो से जिले में प्राईवेट फायनेंस कम्पनियां अपनी जड़े जमा रही हैं। इन कम्पनियों के द्वारा महिला समूह और व्यक्ति विशेष को लोन दिया जाता है। कम्पनी के एजेंट जिले भर में घूम घूम कर लोन बांटा करते हैं। आधार कार्ड, बैंक पासबुक के साथ कुछ जरूरी दस्तावेज लेकर लाखों रूपए का लोन दिया करते हैं। इस लोन में मोटा ब्याज वसूला जाता है। तो कई बार लोन धारियों के साथ धोखाधड़ी भी कर दी जाती है। ऐसा ही एक मामला पुलिस अधीक्षक के पास मंगलवार को पहुंचा। एसपी कार्यालय में लगभग एक सैकड़ा महिलाएं जो विभिन्न ग्रामों की बताई गई पहुंची और जिले में चल रही प्राईवेट फायनेंस कम्पनियों की शिकायत दर्ज कराई। आवेदन में आरोप है कि प्राईवेट फायनेंस कम्पनी द्वारा लोन देने के नाम पर गुमराह करने के साथ पैसा लेने देने में धोखाधड़ी की गई है। महिलाएं बिछिया ब्लॉक, घुघरी ब्लॉक, मवई ब्लॉक ग्रामों की बताई गई। कहा गया कि गरीबों के घर में ये कम्पनी वाले जाकर आदिवासी महिलाओं को लोन देने के नाम पर गुमराह कर पैसे लूटकर भाग जाते हैं फिर उन्हीं का दूसरा आदमी गरीबों के घर में पैसा लेने के लिये आते हैं और घर-घर जाकर महिलाओं को परेशान करते हैं। किसी के घर ताला बंद, किसी के घर में लड़ाई-झगड़ा तो किसी के घर में मारपीट भी करते हैं। ये सभी कम्पनी वाले बहुत से गांवों की महिलाओं को घर में आकर परेशान करते हैं। शिकायत में फ्यूजन फायनेंस कम्पनी, इंसाफ फायनेंस कम्पनी, आर.बी.एल फायनेंस कम्पनी, प्रगति फायनेंस कम्पनी, सिन्दूजा फायनेंस कम्पनी, स्वस्थी फायनेंस कम्पनी, अवंती फायनेंस कम्पनी, एल. एण्ड टी फायनेंस कम्पनी, ग्राम शक्ति फायनेंस कम्पनी, सोनाटा फायनेंस कम्पनी, अन्नपूर्णा फायनेंस कम्पनी, उत्कर्ष फायनेंस कम्पनी, एक्सिस बैंक फायनेंस कम्पनी के नाम सामने आए हैं। पुलिस अधीक्षक ने जांच कराकर उचित कार्यवाही कराएं जाने का महिलाओं को भरोसा दिलाया है। बता दें कि जिले में चल रही प्राईवेट बैंक कम्पनी जो कि महिलाओं का समूह बनाकर महंगी दर का ब्याज लगाकर लोन दिया करती हैं जिले में लगभग 20 ऐसी प्राईवेट कम्पनियां संचालित हैं जो समूह बनाकर महंगे दामों में महिलाओं को लोन दे रही हैं। उनके महत्वपूर्ण दस्तावेजों को गिरवी रखकर ऐसी कम्पनियां लोन देती हैं और जिसकी साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक वसूली किस्तों में की जाती हैं। इन कम्पनियों का संचालन आदिवासी बाहुल्य मण्डला जिले में कैसे हो रहा हैं इसकी जॉच की मांग की गई हैं। कम्पनी के कर्ताधर्ता अवैध रूप से किस्तों के लिए मजदूर, गरीब और कामकाजी महिलाओं को परेशान कर रहे हैं। इन दिनों जिलें में फाइनेंस कंपनियों की बाढ़ सी आ गई है। समूह बनाकर लाखों रूपये का ऋण दिया जा रहा है और मंहगी दर से ब्याज वसूला जा रहा है। कम्पनी के एजेंट और कर्ताधर्ता प्रात: होते ही गरीब बस्ती और ग्रामीण क्षेत्रों की ओर निकल पड़ते हैं। महिलाओं को आत्मनिर्भरता का पाठ सिखाते हुए उन्हें ठगने का गोरखधंधा लंबे समय से चल रहा है वहीं प्रशासन द्वारा किसी प्रकार ध्यान नहीं दिये जाने के कारण ग्रामीण महिलाएं इनके जाल में फंसती चली जा रही हैं। कंपनी द्वारा महिलाओं को लोन देने के नाम पर पति-पत्नी की साथ फोटो प्रस्तुत करने पर महिलाओं को रोजगार से जोडऩे के नाम पर 10 हजार से लेकर 2 लाख रूपये तक का लोन दिया जाता है तथा ऋण लेने वाली ग्रामीण महिला से हर सप्ताह राशि वसूल की जाती है ।
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