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“सिर्फ वर्दी नहीं, सोच भी खास, “हर दिल में जगा रहे उम्मीद “नशा छोड़ो, जीवन जोड़ो – SP रजत सकलेचा का नशा विरोधी अभियान बना मिसाल”

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मंडला (म.प्र.) :– कहते हैं कि जब कोई अधिकारी अपनी कुर्सी से उठकर जनता के बीच पहुंचता है, तब बदलाव की एक नई शुरुआत होती है। ठीक ऐसा ही कुछ कर रहे हैं मंडला ज़िले के पुलिस अधीक्षक श्री रजत सकलेचा, जो “नशा से दूरी है जरूरी” अभियान के अंतर्गत गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं – वह भी एक से बढ़कर एक अनोखे तरीकों से।

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श्री सकलेचा न सिर्फ औपचारिक बैठकों तक सीमित हैं, बल्कि वे स्वयं ग्रामीण क्षेत्रों, स्कूलों और भीड़भाड़ वाले स्थानों में जाकर आम जनता से सीधे संवाद कर रहे हैं। छात्रों से संवाद, रंगोली के माध्यम से संदेश, रजा कार्यक्रमों में भागीदारी और यहां तक कि छातों पर पेंटिंग कर – वे हर रूप में यह संदेश दे रहे हैं कि नशा केवल शरीर ही नहीं, समाज को भी खोखला करता है।
जहां अधिकतर अभियानों की गूंज सिर्फ दफ्तरों तक सीमित रह जाती है, वहीं श्री सकलेचा ने इसे एक जमीनी और जनसहभागिता से जुड़ा हुआ अभियान बना दिया है। वे स्वयं गांव-गांव जाकर नशे के विरुद्ध लोगों को जागरूक कर रहे हैं — कभी स्कूलों में छात्रों से संवाद कर, तो कभी रंगोली प्रतियोगिताओं या छतों पर पेंटिंग कर नशे के दुष्परिणाम समझा रहे हैं। उनके प्रयास हर दिन एक नए और रचनात्मक स्वरूप में सामने आ रहे हैं।

नशे से लड़ाई को बनाया जनआंदोलन

पुलिस अधीक्षक की यह मुहिम अब एक प्रशासनिक पहल न होकर जनआंदोलन का रूप ले चुकी है। वे हर दिन एक नई योजना और नई सोच के साथ अपने कार्यालय से निकलते हैं और कभी स्कूलों में बच्चों से बात करते हैं, तो कभी ग्रामीणों को नशे के दुष्परिणाम समझाते हैं। उनका यही समर्पण ग्रामीणों के दिलों को छू रहा है।
वे नशा प्रभावित क्षेत्रों में जाकर नशा की चपेट में आए युवाओं से मिलते हैं, उनसे बात करते हैं और उन्हें समझाते हैं कि नशा सिर्फ स्वास्थ्य ही नहीं, भविष्य को भी अंधकार में डाल देता है। उनकी यह संवेदनशील और मानवीय पहल निश्चित ही सराहना के योग्य है।

थानों और चौकियों को भी दिए गए दिशा-निर्देश

पुलिस अधीक्षक श्री सकलेचा ने जिले के सभी थानों और चौकियों को भी इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभाने के निर्देश दिए हैं। हर थाना क्षेत्र में नुक्कड़ नाटक, शपथ कार्यक्रम और रंगोली प्रतियोगिताओं जैसे रचनात्मक माध्यमों से नशे के खिलाफ जन-जागरूकता फैलाई जा रही है। वही भीड़भाड़ वाले इलाकों, बाजारों, स्कूलों और पंचायतों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जहां नागरिकों को यह बताया जा रहा है कि नशा जीवन को किस हद तक बर्बाद कर सकता है और उससे कैसे बचा जा सकता है।

एक आदर्श अधिकारी की प्रेरणादायक छवि

श्री रजत सकलेचा का यह कार्य न केवल पुलिस विभाग की छवि को ऊँचाइयों तक ले जा रहा है, बल्कि आम जनता में विश्वास का भाव भी पैदा कर रहा है। जहां आमतौर पर पुलिस को सख्ती और अनुशासन से जोड़ा जाता है, वहीं श्री सकलेचा अपनी संवेदनशीलता, रचनात्मकता और जन-संपर्क से एक नई पहचान बना रहे हैं। उनकी यह पहल यह सिद्ध करती है कि यदि नेतृत्व में संकल्प और दृष्टि हो, तो समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है।

एक संवेदनशील और दूरदर्शी नेतृत्व

श्री रजत सकलेचा का यह प्रयास पुलिस विभाग के लिए एक उदाहरण है। उन्होंने साबित कर दिया है कि एक पुलिस अधिकारी केवल कानून व्यवस्था तक सीमित न रहकर, समाज सुधार का नेतृत्व भी कर सकता है। उनका जमीनी जुड़ाव, लोगों के बीच उपस्थिति और संवाद करने की शैली ने मंडला जिले में नशे के खिलाफ लड़ाई को नई ऊर्जा दी है।

संपादकीय टीप:- नितिन राय

“नशा से दूरी है जरूरी” अब सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि मंडला जिले में एक जन-आंदोलन बन चुका है – और इसकी प्रेरणा बने हैं पुलिस अधीक्षक श्री रजत सकलेचा, जिनकी यह पहल निश्चित ही पूरे प्रदेश के लिए एक आदर्श बन सकती है।
📌 नशा के विरुद्ध यह जंग अब सिर्फ एक प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग की भागीदारी से एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ रही है – और इसके पीछे प्रेरणास्त्रोत बने हैं पुलिस अधीक्षक रजत सकलेचा।

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